केरल सरकार किसानों के आंदोलन के बीच नए कृषि कानूनों के खिलाफ जाएगी सुप्रीम कोर्ट
केरल सरकार केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। सुनील कुमार ने कहा कि इससे पहले राज्य सरकार ने कानूनी राय मांगी थी और उसे सलाह मिली है कि कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। राज्य के कृषि मंत्री वीएस सुनील कुमार ने कहा कि केरल एक दो दिनों में नए कृषि कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा। उन्होंने कहा कि चूंकि कृषि समवर्ती सूची में आती है, नए कानून राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार कृषि राज्य की सूची में आती है। इस तरह के कानून लाने से पहले राज्यों से सलाह नहीं ली गई और किसानों के निकायों को भी अंधेरे में रखा गया। हमें लगता है कि इस कानून से केवल कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा।
केरल के कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य कृषि सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों में बड़े पैमाने पर एक वैकल्पिक तंत्र की शुरुआत करेगा। उन्होंने कहा कि किसान दो सप्ताह से अधिक समय से सड़क पर हैं लेकिन सुनाई नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के बीच में रिफॉर्म के नाम पर एक नया कानून ला दिया गया है।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने केरल राज्य के सुप्रीम कोर्ट जाने वाले फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह राजनीति से प्रेरित कदम है। केरल एक कृषि प्रधान राज्य नहीं है, जिसकी वजह से यह कम से प्रभावित होगा। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि राज्य सरकार अपना कुछ राजनीतिक अंक बनाना चाहता है। यह कुछ और नहीं बल्कि सरासर नाटक है।
चूंकि स्थानीय निकाय चुनाव का पहला चरण मंगलवार को हो रहा है, इसलिए केरल विभिन्न किसानों के संगठनों द्वारा बुलाए गए राष्ट्रव्यापी बंद में भाग नहीं ले रहा है। आमतौर पर इस तरह के बंद में पूरा राज्य बंद रहता है लेकिन राजनीतिक दलों ने इस बार सुचारू रूप से मतदान के लिए सहमति बनाई है।