क्या सोनिया कांग्रेस को टूटने से बचा पाएंगी?
एक चतुर शतरंज खिलाड़ी की तरह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल गांधी को बचाने के लिए बहुत सधी चाल चल रही हैं और साथ ही साथ काफ़ी पुरानी अपनी पार्टी में सत्ता संतुलन भी बनाए रखने की कोशिश में हैं.
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हाल ही में आगामी चुनाव वाले प्रदेश गुजरात की ज़िम्मेदारी अशोक गहलोत को दिए जाने, दिग्विजय सिंह की पार्टी के महासचिव पद से लगभग विदाई और कांग्रेस के आंतरिक पोल पैनल में मधुसूदन मिस्त्री को शामिल करने जैसे फ़ैसलों पर सोनिया की छाप साफ़ दिखाई देती है.
राहुल को लाना आग पर पेट्रोल फेंकने जैसा?
नज़रिया- राहुल और कांग्रेस: संकट नेतृत्व का या अस्तित्व का?
सोनिया गांधी द्वारा डैमेज कंट्रोल के अन्य उपायों में पी चिदंबरम और कमल नाथ पर भरोसा बनाए रखना और आगामी राष्ट्रपति चुनावों के संदर्भ में विपक्षी एकता को बनाए रखने के लिए काम करना शामिल है.
कमल नाथ के बारे में अफ़वाह थी कि वो बीजेपी में शामिल होने वाले हैं.
इनमें से हर क़दम सोनिया की राजनीतिक परिपक्वता के बारे में बहुत कुछ कह जाते हैं. उनकी ममता चाहती है कि राहुल की उनके वारिस के रूप में कांग्रेस में ताजपोशी हो जबकि वो कड़वी राजनीतिक सच्चाइयों के प्रति भी खुले दिमाग से सोच रही हैं.