निर्भया गैंगरेप केस: दोषियों की फांसी रहेगी बरकरार या मिलेगी राहत, आज होगा फैसला, पढ़ें 10 खास बातें

सुप्रीम कोर्ट साल 2012 के दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले के तीन दोषियों की याचिका पर आज फैसला सुनाएगा। निर्भया दुष्कर्म मामले में तीनों दोषी मृत्युदंड की सजा का सामना कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ आरोपी विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश सिंह की याचिकाओं पर दोपहर 2 बजे फैसला सुनाएगी। यहां पढ़ें मामले से जुड़ी 10 खास बातें –
1. दोषी अक्षय ठाकुर ने समीक्षा याचिका दायर नहीं की है। है। सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को इस मामले में दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था।
2. अभियुक्तों के वकील ने याचिका में कहा है कि असली अपराधियों को गिरफ्तार करने में असफल होने के बाद पुलिस ने निर्दोष लोगों को फंसाया था।
3. मामले की सुनवाई के दौरान दोषियों की तरफ से कहा गया है कि ये केस फांसी की सजा का नहीं है। वो गरीब पृष्ठभूमि से है, आदतन अपराधी नहीं हैं, इसलिए उन्हें सुधरने का मौका दिया जाए।
4. दिल्ली पुलिस ने दोषियों के वकील की इन दलीलों का विरोध किया है। कोर्ट ने कहा कि इन दलीलों को पहले ही कोर्ट ठुकरा चुका है।
5. विनय और पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 115 देशों ने मौत की सजा को खत्म कर दिया है। सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं।
6. दिल्ली पुलिस ने कहा कि जो टॉर्चर थ्योरी ये कह रहे हैं वो गलत है क्योंकि अगर ऐसा होता तो तिहाड़ जेल प्रसाशन या निचली अदालत को बता सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में कहीं भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है।
7. दोषी मुकेश की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उन्हें प्रताड़ित किया गया। टॉर्चर को लेकर निचली अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने हलफनामा दिया लेकिन उस पर कोई विचार नहीं किया गया।
8. 4 मई, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी।
9. छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था। उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था। उसे तीन साल सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया था। बाकी चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को 2013 में मौत की सजा सुनाई गई। 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी।
10. 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका इलाके में 6 लोगों ने चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा से बर्बर गैंगरेप किया। दोषियों ने घटना को अंजाम देने के बाद युवती और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया। घटना के 13 दिनों बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई थी।