शिवराज सिंह : महिला अपराधों के खिलाफ नैतिक अभियान चलाना पड़ेगा

भोपाल। मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान बुधवार को बारह साल पूरे कर रहे हैं। मध्यप्रदेश गठन के बाद वे पहले ऐसे राजनेता हैं जो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सतत बारह साल तक बैठने का सौभाग्य हासिल कर रहे हैं।
इन बारह सालों में उन्होंने खूब मेहनत की। कई योजनाएं बनाई। कृषि, सिंचाई, सडक बिजली पानी शिक्षा पर उन्होंने खासा ध्यान केन्द्रित किया। उनकी कई योजनाएं गेम चेंजर भी रही, जिन्हें दूसरे राज्यों ने भी अपनाने में दिलचस्पी दिखाई। बढ़ते महिला अपराधों को लेकर वे बोले कि ऐसे नरपिशाचों के खिलाफ समाज में एक नैतिक अभियान चलाए जाने की जरुरत है। बारह साल पूरे करने पर नवदुनिया ने उनसे कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की और उनकी प्राथमिकताओं को जानने की कोशिश की। पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश…
महिला अपराध और सुरक्षा
अपने प्रदेश में मां-बहन और बेटियों को इज्जत की नजरों से देखा जाता है पर समाज में कुछ नर-पिशाच ऐसे भी पैदा हो गए हैं जिनके खिलाफ नैतिक अभियान चलाए जाने की जरूरत है। दुष्कर्म की 92 फीसदी घटनाओं में वे रिश्तेदार या परिचित ही आरोपी निकलते हैं जिनके पास भरोसा करके मां-पिता अपनी बेटी को छोड़ देते हैं। ये स्थिति भयावह है। इसके खिलाफ समाज में आंदोलन चलाए जाने की जरूरत है। ऐसे मामलों से निपटने में पुलिस और सरकार दोनों ही अपनी जिममेदारी निभाएंगे, लेकिन समाज को भी आगे आना होगा।
एंटीइनकमबेंसी नहीं
जो सरकार काम न करे, लोगों से दूर रहे तो एंटीइनकमबेंसी की स्थिति आएगी, हम तो लोगों के बीच ही हैं। पूरे समय जनता के लिए इमानदारी से काम करते हैं। इसलिए ऐसी स्थिति नहीं है। जो समस्याएं हैं चुनौतियां हैं उनका मिलकर रास्ता निकालेंगे।
युवाओं को रोजगार देना हमारी प्राथमिकता
युवा सशक्तिकरण मिशन बना रहे हैं। सरकारी नौकरियों की संख्या सीमित है इसलिए हम दो मोर्चों पर काम कर रहे हैं। पहला ,मार्केट की जरूरत के हिसाब से स्किल्ड मेनपॉवर तैयार करना। हर साल ऐसे साढ़े सात लाख युवाओं को रोजगार दिलाएंगे। दूसरा, साढ़े सात लाख युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ेंगे।
अपराध छिपाना पाप है
कुछ दिनों में बहन-बेटियों के साथ हुई घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। ये हृदय विदारक है पर प्रदेश में महिला अपराध बढ़ा है ये कहना ठीक नहीं। हमने तय किया है कि छोटे बड़े हर मामले में एफआईआर लिखी जाए, इस कारण ऐसा परसेप्शन बना है। अपराध की संख्या घटाना हो तो एफआईआर न लिखना मेरी नजर में पाप है। इसे नियंत्रित करने के लिए ही फांसी जैसे कानून का विधेयक ला रहे हैं।
नंबर दो की बात ही नहीं सोचता
मध्यप्रदेश को देश नहीं, दुनिया के सबसे बेहतर राज्यों से भी आगे ले जाना हमारा लक्ष्य है। उसका रोडमैप भी तैयार है। पंजाब-हरियाणा से तुलना नहीं पर मैं नंबर दो की नहीं सोचता हूं। इन राज्यों से गेहूं उत्पादन में हम कहीं आगे हैं। हमने प्रगति की है पर ऐतिहासिक रूप से अभी भी पीछे हैं। जिन पर काम करने की जरूरत है।
शक्ति के साथ हुई बर्बरता से फांसी का ख्याल मन में आया: सीएम
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भोपाल में शक्ति के साथ हुई दरिंदगी ने मुझे अंदर से हिला दिया। इंसान इतना बर्बर कैसे हो सकता है। ऐसे इंसान को जीने का हक नहीं। इसी घटना से ऐसे नर-पिशाचों के लिए फांसी देने का ख्याल मन में आया।
बच्चों की आंखों के सपनों को मरने नहीं देंगे
हाल के वर्षों में मुझे खुशी तब मिली, जब मैंने मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना बनाई। बच्चों की आंखों के सपनों को हम मरने नहीं देंगे। पहले पढ़ाई की चिंता को लेकर बच्चों की चिठ्ठीयां मिला करती थीं। अब 75 फीसदी अंक लाओ, सरकारी प्राइवेट किसी भी कॉलेज की फीस सरकार भरेगी। अब ऐसे बच्चे मिलते हैं। गले से लिपटते हैं तो मन गदगद हो जाता है।