अमेरिका के बाद रूस भी कूदा खतरनाक मिसाइलों की होड़ में, आईएनएफ संधि खत्म होते ही बढ़ी रार

अमेरिका और रूस के बीच एक बार फिर खतरनाक हथियारों की होड़ शुरू हो गई है। शीतकाल के दौरान की गई ऐतिहासिक परमाणु संधि के पिछले महीने खत्म होते ही अमेरिका के प्रतिबंधित क्रूज मिसाइल परीक्षण को अंजाम देने से भड़के रूस ने भी इसकी तैयारी कर ली है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि उनका देश जल्द ही प्रतिबंधित श्रेणी की नई मिसाइल का परीक्षण करेगा। हालांकि पुतिन ने कहा कि मास्को अपनी मिसाइल तब तक तैनात नहीं करेगा, जब तक अमेरिका पहले इस काम को अंजाम नहीं देता।
गुरुवार को रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादीवोस्तोक में एक इकोनॉमिक फोरम में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वह जापान और दक्षिण कोरिया में क्रूज मिसाइल तैनात करने के लिए अमेरिका की तरफ से चल रही वार्ता को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि इस तैनाती के चलते अमेरिकी मिसाइलों की जद में समूचा रूस आ जाएगा। पुतिन ने कहा कि मास्को ने वाशिंगटन से शीतयुद्ध के दुश्मनों के बीच हथियारों की होड़ को फिर से शुरू नहीं करने की अपील की थी, लेकिन अमेरिका ने इस अपील का कोई जवाब नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि इस कारण अब रूस ने भी नई मिसाइलों का परीक्षण शुरू करने की तैयारी कर ली है। हालांकि उन्हें अमेरिका से पहले तैनात नहीं किया जाएगा। पुतिन ने कहा, हम इस बात से खुश नहीं हैं कि पेंटागन के मुखिया ने कहा है कि अमेरिका अपनी मिसाइलों को जापान और दक्षिण कोरिया में तैनात करना चाहता है। हम इससे दुखी हैं और यह निश्चित तौर पर चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा, मैंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन पर हुई हालिया वार्ता में मासको की तरफ से विकसित किया जा रहा हाइपरसोनिक परमाणु हथियार खरीदने का प्रस्ताव दिया था। ट्रंप ने रूस के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि वाशिंगटन अपना हथियार बनाएगा। पुतिन ने कहा, मुझे डर है कि आसमान में हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है और वाशिंगटन एक नया आकाशीय हथियार विकसित कर सकता है।

क्या थी आईएनएफ संधि
आठ दिसंबर, 1989 को अमेरिका और रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे
दोनों देशों के बीच जमीन से मार करने वाली मध्य दूरी की तक मार करने वाली मिसाइलों के परीक्षण पर रोक लगी
परमाणु हमले का खतरे को दूर करने के लिए 310 से 3400 किलोमीटर तक क्षमता वाली मिसाइलें थी दायरे में
अमेरिका की तरफ से राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत संघ के आखिरी राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाच्योव ने किए थे हस्ताक्षर
2 अगस्त, 2019 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संधि से अलग होने की कर दी थी घोषणा

दोनों देशों के बीच चल रहा है तनाव
बता दें कि अमेरिका ने पिछले महीने मध्यम दूरी की खतरनाक मिसाइलों का परीक्षण रोकने के लिए की गई 30 साल पुरानी इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस (आईएनएफ) संधि से खुद को अलग कर लिया था। संधि से अलग होने के एक सप्ताह बाद ही 20 अगस्त को अमेरिका ने 500 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली एक क्रूज मिसाइल का परीक्षण कर रूस को नाराज कर दिया था।

रूस ने उसी समय कहा था कि अमेरिका की तरफ से समझौते का उल्लंघन किए जाने के कारण अब वह भी मिसाइल परीक्षण शुरू करेगा। इसके चलते दोनों देशों के बीच बेहद तनाव का माहौल बना हुआ है।

दुनिया में शुरू हो सकती है नई होड़
आईएनएफ संधि भले ही दुनिया की दो महाशक्तियों रूस और अमेरिका के बीच थीं, लेकिन अब तक इसका हवाला देकर अन्य देशों के मिसाइल परीक्षणों को भी सीमित रखा गया था। ऐसे में इन दोनों देशों के इस संधि से हटने का असर उन देशों पर भी दिखाई देगा, जो अभी तक चुपके-चुपके अपनी मिसाइल क्षमता बढ़ा रहे थे।

ये देश अब खुलकर मिसाइल परीक्षण करते दिखाई देंगे। खासतौर पर चीन इनमें अग्रणी है, जिसके बारे में पिछले साल अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसकी बनाई 95 फीसदी मिसाइलें आईएनएफ संधि का उल्लंघन करती हैं। चीन के मिसाइल परीक्षणों का दायरा बढ़ाने पर भारत को भी इस होड़ में कूदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।