RBI ने ब्याज दरों में की बढ़ोतरी, बैंक से कर्ज लेना होगा महंगा, बढ़ेगी आपकी EMI
भारतीय रिजर्व बैंक ने तीन दिन तक विचार-विमर्श करने के बाद रेपो रेट की दरों की घोषणा कर दी है. बुधवार को आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है. मौद्रिक नीति समिति ने इसमें 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6 फीसदी से बढ़कर 6.25%. फीसदी हो गया है.
भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद आम आदमी के लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा होगा. इसके साथ ही ईएमआई पर ब्याज का बोझ भी बढ़ेगा.
इसके साथ ही मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में सीपीआई महंगाई के 4.8 से 4.9 के बीच रहने की संभावना जताई है. वहीं, दूसरी छमाही में इसके लिए 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.
रेपो रेट के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को 6 फीसदी कर दिया गया है. मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के पक्ष में वोट किया.
इससे पहले रॉयटर्स पोल ने संभावना जताई थी कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बार भी रेपो रेट में कटौती नहीं करेगा. पोल में कहा गया था कि आरबीआई इसे अगस्त के लिए टाल सकता है.
इस पोल में 56 अर्थशास्त्री शामिल हुए थे. इनमें से 26 ने संभावना जताई थी कि आरबीआई रेपो रेट में इस बार बढ़ोतरी करेगा. हालांकि अन्य इसकी संभावना से इनकार किया था.
फरवरी से पहले दिसंबर और अक्टूबर में भी आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. दरअसल इस दौरान महंगाई की वजह से यह फैसला लिया गया था. इस वक्त रेपो रेट को 6 फीसदी पर ही रखा गया था.
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. इस दौरान विशेषज्ञ पहले ही इसकी संभावन जता चुके थे. फरवरी में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और बजट में इकोनॉमी को लेकर की गई घोषणाओं का असर आरबीआई के फैसले पर दिखा. इसकी वजह से ही तय माना जा रहा था दरें नहीं घटेंगी.
इससे पहले पिछले साल अगस्त में आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की थी. इस दौरान आरबीआई ने रेपा रेट 0.25 फीसदी घटाया था. इस कटौती के बाद ही रेपो रेट 6 फीसदी हो गया था.