अविश्वास प्रस्ताव: शिवसेना के बिना मोदी सरकार ने भरोसा जीता

मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार को 199 वोटों के बड़े अंतर से गिर गया। लोकसभा में 11 घंटे की तीखी और नाटकीय बहस के बाद परिणाम सरकार के पक्ष में रहा। एनडीए के घटक दल शिवसेना के सदन से गैरहाजिर रहने के बावजूद सरकार के पक्ष में 325 मत पड़े जबकि खिलाफ सिर्फ 126 मत पड़े।

अन्नाद्रमुक ने सरकार के पक्ष में मतदान किया। अविश्वास प्रस्ताव पर तीखा कटाक्ष करते हुए मोदी ने कहा कि वे यहां पर 2024 में फिर से इसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव लाने का आमंत्रण देकर जा रहे हैं। बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव की मंशा को लेकर कांग्रेस नेतृत्व पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव अहंकार में लाया गया है। यह नकारात्मक राजनीति है।

मोदी ने राहुल गांधी के सदन में नाटकीय रूप से गले मिलने पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि वे हैरान रह गए कि बिना चर्चा और वोटिंग के उन्हें उठने के लिए कहा गया। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं खड़ा भी हूं और चार साल के कामकाज पर अड़ा भी हूं। यहां न कोई उठा सकता है न बैठा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सवाल खड़ा करते हुए मोदी ने कहा कि जब तैयारी ही नहीं थी तो प्रस्ताव क्यों लेकर आए। दरअसल, इसके जरिए कांग्रेस साथियों का फ्लोर टेस्ट कराना चाहती थी और जो प्रधानमंत्री बनने की बात कर रहे हैं उनपर मुहर लगवाना चाहती थी।

अपने दो घंटे लंबे भाषण में मोदी ने डोकाला और राफेल विमान सौदे पर कांग्रेस को जमकर आड़े हाथ लिया और कहा, बिना सबूत के ऐसे बचकाने आरोप लगाने से बचा जाना चाहिए। यह दो देशों के बीच समझौता है व्यापारिक कंपनियों के बीच नहीं। इसमें पूरी पारदर्शिता है।

प्रधानमंत्री ने 1999 में कांग्रेस नेतृत्व के राष्ट्रपति भवन के सामने 272 की संख्या के दावे का उल्लेख किया। साथ ही चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, देवेगौड़ा सरकारों के साथ विश्वासघात को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा।

राहुल गांधी के आंख में आंख न डाल पाने के आरोप पर भी प्रधानमंत्री ने तंज कसते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस से लेकर शरद पवार और प्रणब मुखर्जी तक आंख में आंख डालने वालों के हश्र का जिक्र किया। खुद को गरीब का बेटा बताते हुए उन्होंने कटाक्ष किया कि वे कैसे आंख में आंख डाल सकते हैं।
उधर, भाजपा ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाने को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।

नए समीकरण दिखे

एनडीए में सभी दल तो एकजुट रहे लेकिन सबसे पुराने साथी शिवसेना ने सदन से दूरी बनाकर साफ कर दिया कि वह मौजूदा रिश्ते को लेकर नाराज है। यूपीए को तृणमूल, तेलुगुदेशम, वाम दलों, सपा, राकांपा, आम आदमी पार्टी और राजद का साथ मिला।

कांग्रेस पहले ही क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाने की बात कह चुकी है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव पर उसका साथ देने वाले दल 2019 लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर बड़ी ताकत बन सकते हैं। वहीं भाजपा के लिए अन्नाद्रमुक, बीजू जनता दल और टीआरएस के साथ गठबंधन के रास्ते खुल सकते हैं।

तमिलनाडु में सरकार चला रही अन्नाद्रमुक और ओडिशा में सत्ता संभाल रहे बीजू जनता दल को केंद्र में समर्थन की दरकार है। दोनों दल पहले भी भाजपा के साथ केंद्र में रह चुके हैं।

शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा के साथ असहज महसूस कर रही है और उसने आगे सभी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। वहीं यूपीए का साथ दे रहे दल राज्यों में भाजपा की बढ़ रही ताकत से परेशान हैं। इसलिए एकजुटता का प्रदर्शन कर रहे हैं।