बैंकों में ताले, भटकते रहे ग्राहक, निजी बैंकों के कर्मचारी हड़ताल में नहीं हुए शामिल
नागपुर.जिन लोगों को हड़ताल के बारें में जानकारी नहीं थी, वह तपती धूप में बैंकों के चक्कर लगाते दिखाई दिए। बैंक बंद होने की जानकारी मिलते ही उन्हें निराश होकर घर लौटना पड़ा। हालांकि इस हड़ताल में निजी बैंकों के कर्मचारी शामिल नहीं थे। लिहाजा इन बैंकों में कामकाज सुचारू रूप से चला। मंगलवार को यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले कर्मचारी हड़ताल पर थे।लगाए आरोपबैंकिंग/लेबर/वित्तीय सुधारों के नाम पर सरकार की आम जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ, ट्रेड यूनियन के नीतिगत अधिकारों का दमन करने वाले सरकार के फैसलों के कारण व बैंकिंग क्षेत्र में स्थायी कामों में आउटसोर्सिंग किए जाने के विरोध में कर्मचारी हड़ताल पर रहे।
ईएमबीईए के महासचिव जयवंत गुर्वे ने बताया कि श्रम कानूनों में निजी और विदेशी खिलाड़ियों की सुविधा के अनुरूप संशोधन करना, आईडीबीआई बैंक में चल रही श्रमिक विरोधी नितियों एवं समस्याओं कात्वरित निराकरण, बड़ी तादाद में बैंकों में अनुत्पादक ऋण का बढ़ना और अनुत्पादक बकाएदारों को अनुचित रियायतें देना, पंजीकरण में भेदभाव आदि से पहले से कमजोर बैंक और अधिक कमजोर होंगे।
विदर्भ के नागपुर केंद्र में ऑफ इंडिया आंचलिक कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया गया, जिसमें जयवंत गुर्वे, मिलिंद वासनिक, चेंडिल अय्यर, योेगेश गेडाम, अशोक अतकरे, सुरभि शर्मा, सत्यशील रेवतकर, प्रवीण ढोक, जेडी मौंदेकर, वीके मदान, संजय कुथे, सुमेध वासनीक, डी.वाय. छप्परघरे, संजय सहारे, आर.आर. सोनटक्के, संयुक्त संयोजक डॉ. प्रदिप येलने, मनोहर अगस्ती आदि शामिल थे। तत्पश्चात विशाल रैली निकाली गई जो जयस्तंभ चौक, स्टेट बैंक, कस्तुरचंद पार्क से संविधान चौक, रिजर्व बैंक होते हुए अलाहाबाद बैंक सिविल लाइन्स के परिसर में पहुंच कर एक विशाल निषेध सभा के रूप में परिवर्तित हुई। जहां सभी यूनियनों के नेताओं सहित, डी.एस. मिश्रा, बी.ई.एफ.आई. के वी.वी. असई, ईएमबीईए के महासचिव जयवंत गुर्वे, एआईबीओसी के प्रबीर चक्रवर्ती, ईएमबीईए के अध्यक्ष सुरेश बोभाटे, आईएनबीओसी के नागेश दंदे, एसबीआईओए के मुख्य क्षेत्रीय सचिव विभाग 1 दिनेश मेश्राम एवं यूएफबीयू संयोजक अनंत कुलकर्णी अादि उपस्थित थे।
रैली के बाद बैंकों के 2100 से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए अह्वान किया कि यदि सरकार मांगों पर तुरंत सहानुभूति पूर्वक सुनवाई नहीं करती है तो सभी को लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहना है। विमुद्रीकरण के दौरान हुई साथियों की पीड़ादायक मृत्यु पर 2 मिनट का मौन रखकर शोक संवेदनाएं व्यक्त की गई।
प्रमुख मांगो को दोहराते हुए सरकार से विमुद्रीकरण का समुचित मुआवजा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दिलाने हेतु बैंको द्वारा किए गए भुगतान की प्रतिपूर्ति, ग्रेच्युटी की सिलिंग लिमिट 1 जनवरी 2016 से बढ़ाने हेतु, पूर्णकालिक सेवानिवृति प्राप्त कर्मचारियों को इंकम टैक्स में छूट, अगले वेतन समझौते पर शीघ्र चर्चा एवं निर्णय, अनुकंपा नियुक्ति योजना को सही तरह से लागु करने, सभी संवर्ग में पर्याप्त नियुक्तियां, पांच दिवसीय बैंकिंग, जानबुझकर कर्ज न चुकाने वालों पर कठाेर कार्रवाई, स्वेच्छा से कर्ज डुबाेनेवालों पर कठोर फौजदारी कार्रवाई, बैंकों में अधिकारी एवं कर्मचारी निदेशकों की त्वरित नियुक्ति एवं नए पेंशन योजना के बजाय पुरानी पेंशन योजना लागू करना आदि मांगों को साथियों के सामने रखा।