आर्मी चीफ ने मेजर गोगोई की थपथपाई पीठ, मानव ढाल को बताया सही फैसला
आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कश्मीर में एक व्यक्ति को मानव ढाल के तौर पर इस्तेमाल करने वाले मेजर नितिन गोगोई को मिले सैन्य सम्मान का पुरजोर बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यह घाटी में विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए है। आर्मी चीफ ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि मेजर गोगोई के खिलाफ ऐक्शन लेने की जरूरत नहीं है।
इकनॉमिक टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में जनरल रावत ने गोगोई के फैसले की तारीफ करते हुए इसे उचित निर्णय करार दिया। उन्होंने कहा कि गोगोई को दिया गया कॉमन्डेशन सम्मान सुरक्षा बलों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला होगा। आर्मी चीफ ने कहा कि सेना की जिम्मेदारी घाटी में हिंसा में कमी लाना और शांति बहाल करना है। मेजर गोगोई ने इसे ध्यान में रखते हुए फैसला किया। किसी को तो फैसला करना ही था। परिस्थितियों को देखते हुए गोगोई ने सही फैसला किया। इसीलिए उनको यह सम्मान दिया गया है। जवान इस तरह के फैसले से मोटिवेट होंगे और स्थिति को नियंत्रण से बाहर नहीं होने देंगे।
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यह पूछे जाने पर कि मेजर गोगोई वीरता पुरस्कार के भी योग्य हैं, इस पर जनरल रावत ने कहा कि वीरता सम्मान एक तय प्रकिया के बाद आमतौर पर 15 अगस्त और 26 जनवरी को दिया जाता है। इस तरह की घटनाओं पर तुरंत सम्मान दिए जाने की जरूरत थी। मेजर गोगोई के खिलाफ आर्मी कोर्ट की जांच के सवाल पर जनरल रावत ने कहा, ‘इसमें व्यक्ति के दोषी होने और नहीं होने के बारे में पता लगाया जाता है। सैन्य कोर्ट की जांच के निष्कर्ष बाद में आएंगे, लेकिन मुझे जो जानकारी मिली है उसमें गोगोई ने कोई अपराध नहीं किया और उनके खिलाफ किसी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई की जरूरत नहीं है। अगर वह किसी कमी को दोषी पाए भी गए तो उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी।’