लोकसभा चुनाव: MP में रहेंगे शिवराज या आएंगे केंद्र में, फैसला अगले महीने

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव (MP elections 2018) में बेहद कम अंतर की हार से भाजपा (BJP) का केंद्रीय नेतृत्व असहज है। इसका असर लोकसभा चुनावों (Loksabha elections 2019) पर भी पड़ सकता है। पार्टी नेतृत्व इसे संगठन से ज्यादा पूर्व सरकार की कमी मान रहा है। ऐसे में शिवराज प्रदेश में रहेंगे या केंद्र में आएंगे, इसका फैसला अगले माह होगा।
भाजपा नेतृत्व कई मंत्रियों और मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह के गृह नगर में हुई हार को अहम मान रहा है। शिवराज सिंह चौहान हार के बाद प्रदेश में मतदाताओं के बीच जाकर ‘आभार यात्रा’ निकालना चाहते थे, लेकिन नेतृत्व ने इसकी अनुमति नहीं दी है।
मध्य प्रदेश की हार का सबसे ज्यादा नुकसान शिवराज सिंह चौहान को हुआ है। शिवराज ने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश में अपनी जन नेता की छवि बनाई थी, जिसे धक्का लगा है। वे भविष्य के भाजपा नेताओं में भी शुमार किए जाते हैं। चुनाव हारने के बाद शिवराज को केंद्र में लाने की चर्चा भी शुरू हो गई है, ताकि प्रदेश में भविष्य के लिए नया नेतृत्व उभारा जा सके। विधायक दल के नेता का अगले माह चयन होगा, जिससे यह साफ हो जाएगा कि शिवराज प्रदेश की राजनीति करेंगे या केंद्र में आएंगे।
संघ ने दिए बदलाव के संकेत
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ भी मध्य प्रदेश में बदलाव के पक्ष में है। संघ की सबसे गहरी जड़ें मध्य प्रदेश में है और वहां पर भाजपा की हार से उसे भी झटका लगा है। हालांकि संघ ने पहले से ही राज्य सरकार को लेकर खासकर मंत्रियों व विधायकों को लेकर अपनी राय जाहिर कर दी थी और बदलाव की बात कही थी, लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया।
आभार यात्रा को अनुमति नही
चुनाव हारने के बाद वसुंधरा राजे और रमन सिंह शांत रहे, इसके विपरीत शिवराज सिंह ज्यादा सक्रिय हो गए। शिवराज आभार यात्रा निकालना चाहते थे। केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है। दरअसल शिवराज की ज्यादा सक्रियता को केंद्र पसंद नहीं कर रहा है। बीते पांच सालों से भाजपा ने मध्य प्रदेश को शासन-प्रशासन की दृष्टि से बेहतर राज्य प्रचारित किया हुआ था