मुश्किल में BJP? अमित शाह से मठ ने मांगा लिंगायत को अलग धर्म पर समर्थन

नई दिल्ली: लिंगायतों को अलग धर्म की मान्यता देने पर सिद्धारमैया को घेरने वाली बीजेपी मुश्किल में फंस गई है। कर्नाटक दौरे पर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शिद्धगंगा मठ में 110 वर्षीय लिंगायत संत, शिवकुमार स्वामी से मुलाकात की और अप्रैल-मई में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी की सफलता के लिए उनका आशीर्वाद लिया। लेकिन मंगलवार को चित्रदुर्ग शहर में मुरुघा मठ पहुंचे अमित शाह को एक अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा।

दरअसल यहां मुरुघा मठ के संत शिवमूर्ति मुरुगाराजेन्द्र स्वामीजी ने अमित शाह को एक ज्ञापन सौंप दिया, जिसमें कर्नाटक सरकार द्वारा सिफारिश किए गए लिंगायतों के लिए अल्पसंख्यक धर्म के दर्जे की स्वीकृति मांगी गई है। इसके बाद परेशान दिखने वाले बीजेपी नेता व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए मठ से निकल गए।

अपने ज्ञापन में मुरुगाराजेन्द्र ने कहा, ‘लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के लिए कर्नाटक में लिंगायत आंदोलन चल रहा है। यद्यपि यह प्रतीत होता है कि लिंगायत और वीरशैव के बीच संघर्ष है। यह सिर्फ अस्थायी है क्योंकि दोनों संप्रदायों के लोग भावुक बयान जारी कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार ने उचित रूप से लिंगायत के लिए अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने की सिफारिश की है। यह समुदाय को विभाजित करने का कदम नहीं है, बल्कि एकजुट करने का माध्यम है।’

बीजेपी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के इस निर्णय को हिंदू समाज को बांटने का प्रयास बताया था। भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के हैं, जिनका इस समुदाय में काफी प्रभाव माना जाता है। जबकि कांग्रेस इस समुदाय को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती है। शाह के मठ दौरे को लिंगायत समुदाय को अपने पक्ष में करने के प्रयास के तौर पर देख रहे हैं। लिंगायत और वीरशैव लिंगायत दक्षिण भारत में सबसे बड़ा समुदाय हैं, जिनकी आबादी यहां कुल 17 प्रतिशत है।