ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी बोले-जरूरत पड़ी तो परमाणु समझौता छोड़ने को तैयार

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनी ने कहा कि यदि 2015 का परमाणु समझौता देश के हित में नहीं हो तो उसे दरकिनार कर देना होगा। खामेनी की वेबसाइट पर कहा गया कि कैबिनेट के साथ अपनी बैठक में सर्वोच्च नेता ने कहा, ”जेसीपीओए (परमाणु समझौता) उद्देश्य नहीं है, यह केवल एक साधन है। उन्होंने कहा, ”स्वाभाविक है, यदि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि इससे हमारे राष्ट्रीय हितों को फायदा नहीं हो रहा तो हम इसे दरकिनार कर देंगे।
उन्होंने कहा कि समझौते से अमेरिका के हटने के बाद मुद्दे के समाधान के लिए हो रहे यूरोपीय प्रयासों के बावजूद ईरान को यूरोप से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। अमेरिकी प्रतिबंध फिर से लगने के कारण ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की सरकार परेशानियों का सामना कर रही है क्योंकि विदेशी कंपनियां तेजी से देश छोड़ रही हैं और बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने की रूहानी की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं।
रूहानी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उन्हें घेर रहे हैं तथा संसद ने घोषणा की है कि उनके दो और मंत्रियों पर आगामी दिनों में महाभियोग चलाया जा सकता है। संसद इस महीने श्रम एवं अर्थव्यवस्था मंत्रियों को बर्खास्त कर चुकी है और उद्योग तथा शिक्षा मंत्रियों पर आगामी दिनों में महाभियोग चलाने के प्रस्ताव स्वीकार किए जा चुके हैं। खामेनी ने कहा कि यह राजनीतिक हलचल ईरान के लोकतंत्र की शक्ति का संकेत है।