HC: पुलिस की 8 घंटे ड्यूटी और छुट्टी पर 2 माह में फैसला करे सरकार

हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों को शिफ्ट ड्यूटी, साप्ताहिक अवकाश, बेहतर आवास की सुविधा आदि देने पर सरकार को दो महीने के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों की कार्यशैली में सुधार के लिए तत्कालीन डीजीपी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की थी।
– समिति ने 5 जून 2017 को रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत की। समिति ने साप्ताहिक अवकाश, आवास, परिवहन और मोबाइल भत्ता बढ़ाने की अनुशंसा की है। वहीं, नक्सल क्षेत्रों में पदस्थ पुलिसकर्मियों को बुलेट प्रूफ जैकेट और तनाव प्रबंधन के लिए व्यवस्था करने की भी अनुशंसा की है। हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने भी कुछ सुझाव दिए थे।
– बिलासपुर में रहने वाले बर्खास्त आरक्षक राकेश यादव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश, तीन शिफ्ट में ड्यूटी की सुविधा, नक्सल प्रभावित या अन्य संवेदनशील जगहों में तैनाती पर बुलेट प्रूफ जैकेट, सभी थानों में कंप्यूटर, फैक्स की सुविधा उपलब्ध करवाने, आरक्षकों को उचित आवास व यात्रा भत्ता की सुविधा देने की मांग की थी।
समिति ने माना- अवकाश और शिफ्ट ड्यूटी के लिए अतिरिक्त बलों की भर्ती जरूरी
– समिति ने माना है कि नक्सल क्षेत्र में पदस्थ पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश जोड़कर तीन माह के अंतराल में एकमुश्त अवकाश दिया जाना चाहिए। कर्मचारियों को अवकाश देने पर बल की कमी की समस्या होगी।
– ड्यूटी पर रहने वाले कर्मियों पर बोझ बढ़ेगा, इसे ध्यान में रखते हुए 15 फीसदी अतिरिक्त बल की जरूरत पड़ेगी। इसी तरह आठ-आठ घंटे की शिफ्ट ड्यूटी लागू करने पर करीब दोगुने बल की जरूरत होगी। बल के अभाव में शिफ्ट ड्यूटी लागू कर पाना संभव नहीं है।
न्याय मित्र ने कहा- यात्रा, गृह भाड़ा व मोबाइल अलाउंस भी बढ़ाए जाए
– न्याय मित्र वकील रजनी सोरेन ने भी पुलिसकर्मियों के लिए कुछ अहम सुझाव दिए हैं। न्याय मित्र ने समिति द्वारा 1200 रुपए यात्रा भत्ता की अनुशंसा को कम बताते हुए 4 से 5 हजार रुपए करने, गृह भाड़ा भत्ता 15 फीसदी की जगह शहरी क्षेत्र में 4-5 हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में 3 हजार रुपए करने और मोबाइल अलाउंस को 200 रुपए की जगह इंटरनेट का खर्च जोड़ते हुए 465 रुपए करने का सुझाव दिया गया है।
अभी बिना अवकाश रोज 10 से 12 घंटे करनी पड़ती है ड्यूटी
राज्य में हरेक सिपाही को कम से कम 10-12 घंटे काम करने पड़ते हैं। उन्हें सरकारी छुट्टियों में भी ड्यूटी करनी पड़ती है। वीकली आफ भी नहीं मिलता। छुट्टी के दिनों में काम का कंपनसेशन के रुप में साल में केवल एक माह का अलाउंस दिया जाता है । जबकि ड्यूटी टोटल में एक माह से अधिक ली जाती है। पुलिस कर्मियों को अभी भी सायकल का भत्ता मिलता है जबकि हर किसी के पास मोटरसाइकल हैं। उन्हें मोटर बाइक भत्ता दिया जा सकता है।