विधानसभा चुनाव 2018: कांग्रेस ‘सोशल इंजीनियरिंग’ कर लड़ेगी चुनाव

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ‘सोशल इंजीनियरिंग’ करेगी। पार्टी जातीय समीकरणों के साथ उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनावी सभाओं को भी सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए तय किया जा रहा है, ताकि बसपा के असर को कम किया जा सके।

तीनों राज्यों में कांग्रेस अकेले चुनाव मैदान में हैं। पार्टी ने बसपा और कुछ छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन की कोशिश की थी, पर वह नाकाम रही। बसपा मध्य प्रदेश और राजस्थान में अकेले चुनाव लड़ रही है। जबकि छत्तीसगढ़ में बसपा ने अजीत जोगी की पार्टी से समझौता किया है। ऐसे में इन राज्यों में कांग्रेस बसपा के असर को कम करने की रणनीति पर अमल कर रही है।

राहुल राजस्थान के दौरे पर हैं। उनका भरतपुर और धौलपुर में कार्यक्रम है। यह दोनों इलाके उत्तर प्रदेश से सटे हुए हैं और इनमें बसपा का प्रभाव है। पिछले चुनाव में बसपा ने तीन सीटें जीती थी और उसका वोट प्रतिशत करीब चार फीसदी था। पार्टी के एक नेता ने कहा कि भाजपा के खिलाफ नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ने में सफल रही, तो सियासी लाभ मिल सकता है।

मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीट के लिए होने वाले चुनाव में 35 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 22 सीट अकेले मालवा से आती है। इसलिए, पार्टी मालवा क्षेत्र पर खास ध्यान केंद्रित कर रही है। बाबा साहेब आंबेडकर की जन्मस्थली महू भी इसी क्षेत्र में हैं। ऐसे में राहुल महू जाकर दलित मतदाताओं का भरोसा जीतने का प्रयास करेंगे। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव भी जाएंगे।

राहुल गांधी अगले सप्ताह मध्य प्रदेश (मालवा) का दौरा कर सकते हैं। मालवा भाजपा का गढ़ माना जाता है। मालवा क्षेत्र में आने वाली 66 में 57 सीट भाजपा के पास हैं और 9 कांग्रेस के पास हैं। मालवा में आने वाली 22 सुरक्षित (एससी) में 16 सीट पर भाजपा का कब्जा है। जबकि सुरक्षित (एसटी) की सभी नौ सीट पर भाजपा जीती थी। ऐसे में पार्टी मालवा में सवर्णो और दलितों को साधने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है