क्या चीन ने भारत की इस नदी में घोला ‘जहर’?

अरुणाचल प्रदेश के लिए सदियों से पानी का मुख्य जरिया रही सियांग नदी अचानक काली पड़ गई है. पानी में सीमेंट जैसा कुछ मिला है. इसलिए वह पानी इस्तेमाल करने लायक नहीं रहा. भारत की ओर से इस मामले में चीन को जिम्मेदार माना जा रहा है.
अरुणाचल प्रदेश से कांग्रेस सांसद निनोंग एरिंग ने सियांग नदी के पानी का मुआयना करने के बाद कहा कि इस हरकत के लिए चीन जिम्मेदार हो सकता है. एरिंग के मुताबिक, भारत की तरफ बह कर आने वाली नदियों का रुख मोड़ने की चीन साजिश कर रहा है. एरिंग ने आशंका जताई है कि हो सकता है कि सियांग नदी के जरिए चीन ने ऐसी शुरुआत की हो.
सांसद एरिंग ने कहा, ‘सियांग नदी के रुख को चीन की ओर से संभावित तौर पर मोड़े जाने को लेकर मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख रहा हूं. पानी का रंग बदलने के पीछे जरूर कोई कारण है. हो सकता है कि बांध बनाए जा रहे हों और जमीन की खुदाई से निकली मिट्टी नदी के पानी के साथ बह कर आ रही हो. जो भी हो ये बहुत गंभीर मामला है.’
पूर्व सियांग जिले के प्रशासन ने नदी के पानी को लेकर चेतावनी जारी कर दी है. उन्होंने बताया, ‘मॉनसून में यह नदी काली पड़ गई और सबको लगा कि मिट्टी की वजह से ऐसा हो रहा है. बारिश का मौसम खत्म हो चुका है और अब भी नदी का पानी काला है.’
उन्होंने बताया कि पहले नवंबर से फरवरी तक नदी का पानी एकदम साफ रहता है और ऐसा रंग पहले कभी नहीं हुआ. पूर्व सियांग जिला प्रशासन ने सियांग नदी के पानी के सैंपल लेकर केंद्रीय जल आयोग को भेजे हैं.
बता दें कि सियांग को ब्रह्मपुत्र की अहम नदी माना जाता है. दक्षिणी तिब्बत में 1600 किलोमीटर रास्ता तय करते वक्त सियांग नदी को यारलुंग सांगपो या यारलुंग जांग्बो के नाम से जाना जाता है. भारत में दाखिल होने के बाद इस नदी को सियांग या दिहांग नाम से जाना जाता है.