मोटे वेतन-भत्तों के साथ सूचना आयुक्तों को अब मुफ्त बिजली भी चाहिए, सरकार ने किया इंकार

भोपाल।मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और अन्य मंत्री विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष सरकारी खजाने से भरे जाने वाले आयकर को खुद भरने लगे है वहीं मध्यप्रदेश के राज्य सूचना आयोग में पदस्थ सूचना आयुक्तों को अब भारी-भरकम वेतन-भत्तों के साथ सरकार से मुफ्त बिजली भी चाहिए। राज्य सूचना आयोग ने राज्य सूचना आयुक्त ओंकार नाथ के बिजली बिल भुगतान के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग से मार्गदर्शन मांगा था। सामान्य प्रशासन ने आयोग को सूचना आयुक्तों के बिजली बिल भुगतान से इंकार करते हुए कहा है कि इस संबंध में नियमों में कोई प्रावधान नहीं है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के कार्यकाल में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से जमा किए जाने के प्रावधान को खत्म करते हुए सबसे पहले खुद इसकी घोषणा की थी। उनके निर्णय के बाद मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिनक्ष ने भी आयकर खुद जमा करने का एलान किया और बाद में गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया और अब मुख्यमंत्री, मंत्री विसं अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष अपना आयकर खुद जमा करते है।
इधर हाल ही में प्रदेश के राज्य सूचना बनाए गए आयुक्त ओंकार नाथ चाहते थे कि उनके घर का बिजली बिल भी सरकार की ओर से भरा जाए। उन्होंनें राज्य सूचना आयोग के सचिव राजेश ओगरे को बिलों का भुगतान कराने को कहा। सचिव ने इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग से मार्गदर्शन मांग लिया। पूरे नियम-दस्तावेज खंगाले गए। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग की अवर सचिव सुमन रायकवार ने राज्य सूचना आयोग के सचिव को पत्र लिखकर बताया कि केन्द्रीय कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय दिल्ली की 24 अक्टूबर 2019 को जारी अधिसूचना के अध्याय चार में राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की पदावधि, वेतन, भत्ते और सेवा निबंधन और शर्तो में केवल नियम वेतन का ही उल्लेख है। उनके वेतन में से सुविधा और फायदों के समतुल्य पेंशन की रकम को कम किए जाने का उल्लेख है। उन्होेंने विधि और विधाई कार्य विभाग के 15 मार्च 2024 को जारी राजपत्र का हवाला देते हुए कहा कि न्याधीश को विद्युत प्रभार की राशि का भुगतान किए जाने का इसमें उल्लेख नहीं है इसलिए सूचना आयुक्त के बिजली बिंलों का भुगतान सरकारी खजाने से नहीं किया जा सकता।
हर माह इतना वेतन और भत्ते-
मुख्य सूचना आयुक्त को प्रतिमाह ढाई लाख रुपए और सूचना आयुक्तों को सवा दो लाख रुपए हर माह वेतन दिया जाता है। यदि वे शासकीय सेवा के पेंशनर है तो इसमें से पेंशन की राशि कम कर दी जाती है। मासिक वेतन के अलावा इनको महंगाई भत्ता भी सरकार देती है। इसके अलावा इन्हें सरकार की ओर से हर माह वाहन ड्राइवर के साथ मिलता है। इसमें एक निश्चित ईंधन खपत खर्च करने की अनुमति होती है। हर माह मोबाइल बिल, पेपर बिल के अलावा इन्हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, स्टेनो की सुविधा भी मिलती है।