अयोध्या के रामसेवकपुरम में तीन ट्रक में पहुंची पत्थर की खेप

राम नगरी अयोध्या में रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर के निर्माण में जुगत में लगे तमाम हिंदूवादी संगठन बेहद सक्रिय हैं। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए सामग्री एकत्र की जा रही है। इसी क्रम में कल तीन ट्रक में पत्थरों की खेप पहुंची।

लाल पत्थरों को राजस्थान के बयाना से तीन ट्रक में लाया गया है। इन्हें रामघाट के रामसेवकपुरम में रखवाया गया और जरूरत के हिसाब से इन्हें करीब पांच सौ मीटर के फासले पर स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में ले जाया जाएगा।

दबाव की रणनीति: राम मंदिर के लिए संसद में कानून पारित कराने की मांग के समर्थन में केन्द्र सरकार पर दबाव की रणनीति के तहत विहिप नेतृत्व ने अयोध्या में पत्थरों की खेप मंगानी शुरू कर दी है। इसी रणनीति के तहत पखवारे भर पहले भी एक ट्रक में करीब 70 टन पत्थर यहां लाए गए थे। वहीं, दूसरी बार फिर तीन अलग-अलग ट्रकों में करीब दो सौ टन पत्थर मंगवाए गए हैं। जयपुर जोरहाट ट्रांसपोर्ट कम्पनी के यह तीनों ही ट्रक बीते 30 जून को बेवाना खदान से निकले थे और बीती रात अयोध्या पहुंचे। बाईपास पर खड़े इन तीनों ट्रकों को कल रामसेवकपुरम की कार्यशाला में लाकर क्रेन के जरिए पत्थरों को उतरवाया जा रहा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ की ओर से रामलला के अभिन्न मित्र घोषित त्रिलोकीनाथ पाण्डेय ने इस सम्बन्ध में बताया कि श्रीरामजन्मभूमि में भव्य मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की तराशी का कार्य जल्द प्रारम्भ होगा। इसीलिए पत्थरों को यहां लाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बरसात में खदानों में पानी भर जाता है इसलिए अधिकतम खेप मंगाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल में करीब सवा दो लाख घनफुट लाल पत्थरों का इस्तेमाल होना है। वर्ष 1990 के बाद से अब तक करीब एक लाख घनफुट पत्थरों की तराशी का काम पूरा हो चुका है जिससे भूतल का निर्माण हो सकता है। वहीं अभी 75 हजार घनफुट पत्थरों की तराशी होनी शेष है, जिन्हें यहां लाया जाना है। उन्होंने बताया कि यहां लाए गए पतथरों से बीम के अलावा छत व छज्जों का निर्माण कराया जाएगा।

अभी तक फॉर्म 32 के जरिए पत्थरों को मंगाया जा रहा था। वहीं अब जीएसटी लागू होने के बाद इन पत्थरों को मंगाना ज्यादा आसान हो गया है। इसके चलते शेष पत्थर जल्दी यहां लाए जा सकते हैं। इससे पहले फॉर्म 32 मिलने की समस्या रहती थी जिससे मॉल ढुलाई में भी देरी होती थी। वर्ष 2015 में तत्कालीन राज्य सरकार के अघोषित रोक के कारण वाणिज्य कर विभाग ने फॉर्म 32 जारी करने में आनाकानी शुरू कर दी थी जिससे पत्थरों की ढुलाई ठप हो गई।

कार्यशाला के सुपरवाइजर गिरीश भाई सोमपुरा के अनुसार प्रस्तावित मंदिर में करीब सवा चार लाख घन फीट पत्थर लगने हैं। मंदिर के लिए पत्थर तराशी का 70 फीसद काम पूरा हो चुका है और सवा लाख घन फीट पत्थरों की तराशी अभी बाकी है। तीन माह पूर्व प्रदेश में भाजपा सरकार आने से पूर्व सपा सरकार के समय वाणिज्य कर के नियमों का हवाला देकर राजस्थान से पत्थरों का आयात रोक दिया गया था लेकिन, प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद से दूसरा मौका है, जब पत्थरों की खेप रामसेवकपुरम पहुंची है। बीते महीने माह एक ट्रक ही पत्थर आया था, जबकि इस बार एक साथ तीन ट्रक पत्थर लाए गए। न्यास कार्यशाला के सूत्रों के अनुसार पत्थरों की आवक कार्यशाला की गतिविधियों को नियमित बनाए रखने के प्रयास के तहत है। कार्यशाला में वर्षों पूर्व से ही इतने पत्थर तराशे जा चुके हैं कि किसी भी समय मंदिर निर्माण शुरू होने की सूरत में तराशे गए पत्थरों की कमी नहीं पडऩे वाली है।

बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि केस से जुड़े एक याची खालिद अहमद खां ने अयोध्या में पत्थरों के आगमन पर कहा है यह लोगों में सन्देश देने की कोशिश है कि भगवा दल राम मंदिर निर्माण को लेकर गंभीर है। हालांकि इससे केस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हमें सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर पूरा भरोसा है।

कांग्रेसी नेता पीएल पुनिया ने पत्थर कहा कि अयोध्या में यह काम आज से नहीं बहुत समय से चल रहा है, लेकिन आज तक मैने भाजपा या फिर आरएसएस का यह बयान नहीं सुना की हम जबरदस्ती वहां मंदिर बनाएंगे। चाहे योगी हो या कोई और सभी ने कहा है की आम सहमति से या कोर्ट के फैसले के बाद ही मंदिर बनेगा।

बाबरी विवाद के पक्षकार जफरयाब जिलानी ने कहा कि सियासी एजेंडा है और वे अपनी संसदीय क्षेत्र को बताना चाहते हैं कि वो मंदिर बनाने को लेकर गंभीर हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मंदिर के तामीर की शुरुआत नहीं कर पाएंगे। आस-पास टेंशन जरूर बढ़ेगी। यह भाजपा, आरएसएस और वीएचपी की मिलीजुली बात है। सब पहले से तयशुदा प्रोग्राम के तहत हो रहा है।

लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इस तरह की गतिविधियां गैर कानूनी हैं और देश के खिलाफ है। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। एक छोटा परिसर है जिस पर विवाद है, लेकिन उसके बाद हम वहां कुछ भी रख सकते हैं। पत्थर आ रहे हैं, नई तकनीक से मंदिर बनाने वाला है। मैं कल फिर कोर्ट जाकर मेंशन करूंगा, हम जीतने वाले हैं। मस्जिद कहीं भी बन सकती है। हम हाई कोर्ट में हम जीत चुके हैं, सिर्फ सुनवाई होनी है।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम पार्टियां पब्लिकली बोलने को तैयार नहीं हैं, कोर्ट फैसला करेगा तो वो तैयार हो जाएंगे। हम कोई मुसलमान देश नहीं हैं, जो किसी और धर्म के मंदिर को बनाने से रोकेंगे। राम जन्म भूमि के बाहर कहीं भी मस्जिद बना सकते हैं।

गौरतलब है कि 2015 में भी पूरे देश से पत्थरों को एकत्र करने की ऐसी कोशिश हुई थी. उस समय तत्कालीन समाजवादी सरकार ने दो ट्रक पत्थरों के आने के बाद उस पर रोक लगा दी थी। वाणिज्य कर विभाग ने पत्थरों को लाने के लिए फॉर्म 39 जारी करने से इनकार कर दिया था।

आतंकी हमले की बरसी पर अयोध्या में रही कड़ी सुरक्षा

फैजाबाद। आतंकी हमले की बरसी पर अयोध्या कड़े पहरे में दिखी। कल सुबह से हो रही रिमझिम बरसात के बीच भी सुरक्षा कर्मी वाहनों की चेङ्क्षकग व ड्यूटी पर मुस्तैदी से तैनात रहे। प्रमुख चौराहों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था रही। अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) अनिल कुमार सिंह सिसौदिया ने अयोध्या पहुंच सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा कर्मियों को सतर्क रहने की हिदायत दी।

दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती राम मंदिर का निर्माण: साक्षी महाराज

प्रमुख स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद भी निगरानी में ली गई। अयोध्या की ओर आने-जाने वाले वाहनों को चेङ्क्षकग के बाद ही नगर में प्रवेश दिया गया। खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय रहीं। परिसर के भीतर भी सुरक्षा एजेंसियां सतर्क रहीं। पांच जुलाई वर्ष 2005 को आतंकियों ने अधिगृहीत परिसर पर आत्मघाती हमला किया था।