अब कर्नाटक की थाह लेंगे अमित शाह, कैबिनेट और संगठन में बदलाव की अटकलें
नई दिल्ली। चार राज्यों में वापसी के बाद इस साल के अंत तक यूं तो भाजपा कई राज्यों में संगठनात्मक बदलाव की तैयारी कर रही है लेकिन दक्षिण के पार्टी शासित एक मात्र राज्य कर्नाटक में ढीले तारों को कसने की कवायद शुरू हो चुकी है। बहुत जल्द संगठन के साथ-साथ कैबिनेट बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। गुरुवार से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की दो दिवसीय कर्नाटक यात्रा ने इसे बल दे दिया है।
माना जा रहा है कि उनके वापस आने के बाद इसकी रूपरेखा और तिथि तय हो सकती है। प्रदेश अध्यक्ष नलिन कटील की जगह किसी सक्रिय व्यक्ति को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है जबकि कैबिनेट से भी ऐसे कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है जो अच्छा प्रदर्शन देने में असमर्थ हो रहे हैं। उनकी जगह कुछ युवाओं को स्थान दिया जाएगा जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दियुरप्पा के पुत्र विजयेंद्र को भी जगह मिल सकती है।
यूं तो कर्नाटक चुनाव से पहले गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव हैं लेकिन कर्नाटक में नेताओं की खेमेबाजी के कारण स्थिति ज्यादा बदहाल है। बीएस येद्दियुरप्पा के बाद प्रशासनिक कमान बसवराज बोम्मई ने कुशलता से थाम तो लिया है लेकिन संगठन चरमरा रहा है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व तक यह आवाज बार-बार पहुंच रही है कि संगठन में संवाद बंद है। जमीनी कामकाज ठप है और निर्णय में सहभागिता नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष कटील को लेकर एक बड़ा वर्ग खासा निरुत्साहित है। बोम्मई कैबिनेट में संतुलन बनाने के लिए कइयों को मंत्री तो बनाया गया लेकिन वे प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार शाह के कर्नाटक दौरे का मुख्य कारण तो तुमकुर मठ में ¨लगायत गुरु स्वामी शिवकुमार की 115वीं जयंती आयोजन मे शामिल होना है। लेकिन बाकी समय में वे कोरग्रुप की बैठक भी करेंगे और संभव है कुछ नेताओं से अलग से मुलाकात भी करें।
मुख्यमंत्री बोम्मई के अलावा उनकी मुलाकात बीएस येद्दियुरप्पा से भी हो सकती है। इस दौरे को अहम माना जा रहा है क्योंकि कैबिनेट विस्तार लंबित है। चर्चा यह है कि कुछ मंत्रियों को हटाकर और उनकी जगह नए व युवा चेहरे शामिल किए जाएंगे। ऐसे मंत्री लगाए जा सकते हैं जो आठ नौ महीने में ही जमीन पर बदलाव लाने और जनता को भरोसा दिलाने में सफल हो सकें।
कैबिनेट से भी अहम प्रदेश संगठन है जिसके साथ अब तक सरकार और विभिन्न खेमे के नेताओं का तारतम्य नहीं बैठ पाया है। बताया जाता है कि कटील का कार्यकाल अगस्त में खत्म हो रहा है लेकिन उससे पहले ही बदलाव हो सकता है ताकि नए अध्यक्ष को आठ नौ महीने का वक्त मिल सके। नए अध्यक्ष की रेस में केंद्रीय राज्यमंत्री शोभा करांदलजे व राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि का नाम सबसे आगे माना जा रहा है।